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जनरंजन : लोकेश शर्मा बढायेंगे गहलोत की मुश्किलें, कांग्रेस में भी होगा असर

पिछली कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एक समय में सर्वाधिक निकट रहे सिपहसालार व ओएसडी लोकेश शर्मा ही अब उनकी मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। गहलोत व लोकेश के मध्य टकराहट तो पिछले विधानसभा चुनाव से पहले ही आरम्भ हो गई थी। गहलोत शासन में नेताओं के फोन टैपिंग का मामला जोर शोर से उठा था। ये मामला कांग्रेस नेता व पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने उठाया था। उस समय भी खूब बयानबाजी हुई। लोकेश से जो टकराहट शुरू हुई वो अब भी जारी है और वही गहलोत के लिए परेशानी खड़ी किये हुए है।

लोकेश शर्मा बुधवार को करीब 4 साल पुराने फोन टैपिंग के मामले में दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के सामने पेश हुए। उस समय से ही कांग्रेस के भीतर की राजनीति गर्माई हुई है। क्योंकि राज्य की कांग्रेस में अब समीकरण काफी बदल गए हैं। गहलोत भी बीमारी के कारण 3 महीनें आराम करने के बाद सक्रिय हुए हैं और सक्रिय होते ही ये समस्या सामने आ गयी है। जिसका पार्टी प्लेटफॉर्म पर भी प्रभाव पड़ेगा। बुधवार को लोकेश दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के पास एक बैग लेकर पहुंचे। उस बैग की चर्चा होने लगी जो अब भी थम नहीं रही है।

लोकेश शर्मा ने कल दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच को जो बयान दिए हैं, उससे माना जा रहा है कि पूर्व सीएम सहित कई अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती है। बताया जा रहा है कि क्राइम ब्रांच को लोकेश शर्मा ने 7 पेज का बयान दिया है। उनका कहना था कि पोलिटिकल क्राइसिस के समय बाकायदा फोन रिकॉर्ड किये गए। इसमें कई उच्च अधिकारी भी शामिल थे। लोकेश ने कहा कि अब आगे की पूछताछ गहलोत से की जानी चाहिए। फोन टैपिंग मामले में एक साल बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने लोकेश को पूछताछ के लिए बुलाया।

फोन टैपिंग का ये मामला कांग्रेस की दृष्टि से भी खास महत्त्व का है। बदले सियासी हालात में लोकेश ने पलटी मारी और ये मामला अब समस्या बन गया। आरोप है कि अपने समर्थक विधायकों के साथ सचिन पायलट समर्थक विधायकों के फोन सर्विलांस पर लिए गए थे। लोकेश के इस बयान से अब पायलट खेमा आलाकमान के सामने गहलोत पर हमलावर होगा। क्योंकि गहलोत व पायलट के मध्य तल्खियां समय के साथ कम होने के स्थान पर बढ़ी ही है। सचिन अब कांग्रेस में बड़े पद पर है तो समस्या तो खड़ी करेंगे ही।

लोकेश के इस कदम का असर राज्य कांग्रेस की राजनीति पर भी व्यापक स्तर पर पड़ेगा, ये निश्चित है। गहलोत भी कम सूझबूझ वाले नेता नहीं है, वे भी अपना दाव चलेंगे। मगर सारा मसला आलाकमान पर निर्भर करेगा। गहलोत आसानी से मात खाने वाले राजनेता नहीं है। लाख कोशिशों के बाद भी उन्होंने पिछली टर्म में ऑपरेशन लोटस सफल नहीं होने दिया था। इस मामले को लेकर भी अब कांग्रेस के भीतर बड़ी राजनीति देखने को मिलेगी।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।